Sahaj Samadhi (Hindi)

सहज समाधी


कैसे करें ध्यान ... ?


बस आँख मूँद कर,

बैठो परस्पर

फिर अंतर्मन में,

उतारो एहसास

उस चिड़िया की चहक,

और कोयल की मिठ्ठास

हवा का सरसराना

वृक्षों का झूलना

या पानी की झरझर … 

से शीतल महक |

बच्चों की खिलखिलाहट

या बाहर के वातावरण

की हर कोई आहट | 


क्षणिक उठने दो

इस जगत माया 

की लहर,

फिर डूबने दो

अनँत के सागर

में  विचरण करो|

या अंतरिक्ष में विस्तृत

ब्रह्मनाद की गूँज,

में हो विलीन ...

घूमो सितारों के संग,

पार करो युगों का बंधन

फिर ॐ में घुल जाओ

बन जाओ अनँत का स्पँदन ...

या, उठो,

हृदय कमल से , सहस्त्रधारा

बन,

इक तेज रौशनी की किरण

या प्राण शक्ति की धारा 

या फिर केवल ,

एक एहसास,

सहस्त्र धारा से,

द्वादशाँत ,

उठे आभास,

जैसे ज्वार भाटा उठे समन्दर

फिर पुनः … गहरी शान्ति |

जैसे सहस्त्रो मन्वँतर ,

के कल्प का क्षण 

अकस्मात ही ,

सब ख़त्म

अब कुछ नहीं

न धरती , न आसमान 

न सूरज, न सितारे, 

न वक्त,  न किनारे

सब एक समान 

स्वर नहीं , एहसास नहीं,

ॐ भी नहीं !!

तो फिर ?

संपूर्ण जगत के उस पार

देवी माया के जाल

के छोर से बाहर,

क्या है? किसने जाना 

क्या है, परमात्मा?

अरे वह तो,

इस स्वप्न सँसार,

की सोच से है बाहर |


तो वहाँ पर,

नहा कर

आयी आत्मा

मत पूछो कहाँ?

मन हुआ विभोर,

अनेक जन्मों के बँधन

समय का मन्थन

हुआ पार,

बस, करो ध्यान,

नितदिन प्रतिदिन,

पार  ब्रह्म में

करलो स्नान !!

बस करो ध्यान |


  • पूनम जैन.


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